आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "naaseh-e-garduu.n-nashii.n"
नज़्म के संबंधित परिणाम "naaseh-e-garduu.n-nashii.n"
नज़्म
ये रक़्स-ए-आफ़रीनश है कि शोर-ए-मर्ग है ऐ दिल
हवा कुछ इस तरह पेड़ों से मिल मिल कर गुज़रती है
उबैदुर्रहमान आज़मी
नज़्म
बिर्ज लाल रअना
नज़्म
परेशाँ हूँ मैं मुश्त-ए-ख़ाक लेकिन कुछ नहीं खुलता
सिकंदर हूँ कि आईना हूँ या गर्द-ए-कुदूरत हूँ
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
इस ज़ियाँ-ख़ाने में कोई मिल्लत-ए-गर्दूं-वक़ार
रह नहीं सकती अबद तक बार-ए-दोश-ए-रोज़गार