aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "najis"
हर एक दम से जान का हर-दम तपाक हैनापाक तन पलीद नजिस या कि पाक है
और तू है कि तिरे जिस्म का साया भी नजिसतू अगर चाहे तो इन तल्ख़-ओ-सियह राहों पर
नजिस और नापाक है जिस्म उन काजभी तो नहीं हम को भाते हैं कुत्ते
और मामूली मनाज़िर में महबूसकिसी गली-सड़ी ला-यानियत की तरह नजिस
फिर उन का मलबा समेट कर हमबतौर ईंधन नजिस मशीनों में झोक आए
मिरे क़बीले के सूरमा सबनजिस अखाड़ों में अपने लाग़र नहीफ़ जिस्मों को चाटते हैं
सो अब ये शर्त-ए-हयात ठहरीकि शहर के सब नजीब अफ़राद
कोई हमें इन नजीब सूरतहरीस बे-मेहर करगों से
अब गवारा हुई क्यूँ ग़ैर की सोहबत तुझ कोक्यूँ पसंद आ गई ना-जिंस की शिरकत तुझ को
जाहिल को भी आक़िल को भीनाक़िस को भी कामिल को भी
कह उठती हैमैं नाक़िस हूँ
और उस नजीब ओ करीम महरम-ए-वफ़ा के पैकर को देख आयाजो आने वाले दिनों की घड़ियाँ अबद की साँसों से गिन रहा है
अभी ठहरोअभी कुछ काम बाक़ी हैं
मैं नाक़िस-उल-अक़्ल थीवो दाना बहुत था
नफ़रत का लुग़त-नवीस बन करमैं अपनी ज़बान भूल चुका हूँ
वक़्त हनूज़ नाक़िस हैऔर हरकत ता-हाल ना-ख़ालिस
वो इतनी बे-रुख़ी बे-ए'तिनाई कैसे बरतेगावो ख़ुद कामिल है फिर नाक़िस ये पैकर क्यूँ तराशेगा
मैं जा चुकूँ तो ख़याल रखनारफ़ीक़ मेरे, ज़मीन की इन दराज़ पलकों से अश्क बन कर
ग़रज़ की मैली दराज़ चादरलपेट कर वो
मिरा लफ़्ज़ नाक़िस-ओ-ख़ाम हैरहा ना-तमाम जो कह सका
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