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नज़्म
लब पर नाम किसी का भी हो, दिल में तेरा नक़्शा है
ऐ तस्वीर बनाने वाली जब से तुझ को देखा है
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
जमाल-ए-हुस्न-ए-यार की वफ़ा भी क्या ही ख़ूब थी
कमाल-ए-दिलबरी की वो अदा भी क्या ही ख़ूब थी
अशफ़ाक़ अहमद साइम
नज़्म
मिस्ल-ए-ख़ुर्शीद जबीनों पे हैं सज्दों के निशाँ
क़ल्ब-ए-मोमिन हुआ मानिंद-ए-क़मर आज की शाम
अरमान अकबराबादी
नज़्म
जुदाई चाहे किसी तरह की भी हो ऐ दोस्त
दिल-ओ-जिगर में ये काँटे चुभो ही देती है
ज़हीर नाशाद दरभंगवी
नज़्म
कोई भाला है न ख़ंजर है न बम हाथों में
और न तलवार को हम ज़ेब-ए-कमर रखते हैं