आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "pastii-e-zamii.n"
नज़्म के संबंधित परिणाम "pastii-e-zamii.n"
नज़्म
दिल-ए-मुर्दा को हो वो जज़्बा-ए-बेताब अता
मरज़-ए-पस्ती-ए-मिल्लत का जो दरमाँ कर दे
ज़फ़र अहमद सिद्दीक़ी
नज़्म
है अपनी पस्ती-ए-हिम्मत का ए'तिराफ़ मुझे
ख़िज़ाँ की ज़द पे बहारों को छोड़ आया हूँ
अहसन अहमद अश्क
नज़्म
तू तरक़्क़ी कह रहा है जिस को दुनिया के ग़ुलाम
है ये तेरी पस्ती-ए-अख़्लाक़ का इक और नाम
ज़फ़र अहमद सिद्दीक़ी
नज़्म
पस्ती-ए-सियासत को तू ने अपने क़ामत से रिफ़अत दी
ईमाँ की तंग-ख़याली को इंसाँ के ग़म की वुसअ'त दी
आनंद नारायण मुल्ला
नज़्म
अब रस्म-ए-सितम हिकमत-ए-ख़ासान-ए-ज़मीं है
ताईद-ए-सितम मस्लहत-ए-मुफ़्ती-ए-दीं है