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नज़्म
उम्र भर तेरी मोहब्बत मेरी ख़िदमत-गर रही
मैं तिरी ख़िदमत के क़ाबिल जब हुआ तू चल बसी
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
शम-ए-हक़ से जो मुनव्वर हो ये वो महफ़िल न थी
बारिश-ए-रहमत हुई लेकिन ज़मीं क़ाबिल न थी
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
अन-पढ़ था और जाहिल क़ाबिल मुझे बनाया
दुनिया-ए-इल्म-ओ-दानिश का रास्ता दिखाया
अहमद हातिब सिद्दीक़ी
नज़्म
अमाँ कैसी कि मौज-ए-ख़ूँ अभी सर से नहीं गुज़री
गुज़र जाए तो शायद बाज़ू-ए-क़ातिल ठहर जाए
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
कि जो शर रखते हैं सीने में अपने दिल नहीं रखते
है उन की आस्तीं में वो भी जो क़ातिल नहीं रखते
कैफ़ी आज़मी
नज़्म
शम-ए-हक़ से जो मुनव्वर हो ये वो महफ़िल न थी
बारिश-ए-रहमत हुई लेकिन ज़मीं क़ाबिल न थी
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
क़ाबिल-ए-इज़्ज़त हैं इस दुनिया के मेहनत-कश अवाम
मुल्क की दौलत हैं ये, वाजिब है इन का एहतिराम
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
अपने हिस्से से ज़ियादा जो लिया तू ने तो अब
तू ख़िलाफ़त के न क़ाबिल है न हम हैं मामूर