आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "qadd-o-rukh"
नज़्म के संबंधित परिणाम "qadd-o-rukh"
नज़्म
भड़के इक आह कहा चाँद ने यूँ ज़ोहरा से
ऐ निगार-ए-रुख़-ए-ज़ेबा-ए-बहार-ए-अफ़्लाक
तसद्द्क़ हुसैन ख़ालिद
नज़्म
तज़्किरे हैं क़द-ओ-गेसू के बहर-तौर अज़ीज़
मुफ़्लिसी में दिल-ए-गुलबार कहाँ से लाऊँ
बेबाक भोजपुरी
नज़्म
जो गोशे गोशे में पिन्हाँ है उस की राह-ए-गुरेज़
ख़याल गुम हुआ जाता है क़द्द-ए-रा'ना में
मसऊद हुसैन ख़ां
नज़्म
जो गोशे गोशे में पिन्हाँ है उस के राह-ए-गुरेज़
ख़याल गुम हुआ जाता है क़द्द-ए-रा'ना में