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नज़्म
हबीब जालिब
नज़्म
मुझ को रहती है सदा बच्चों के मुस्तक़बिल की धुन
आप बैठे कर रहे हैं फ़ाएलातुन फ़ाएलुन
नश्तर अमरोहवी
नज़्म
सना निदा को नए लतीफ़े सुना रही है
हिना हथेली को तकते तकते पुराने रस्ते से आ रही है
इमरान शमशाद नरमी
नज़्म
शाइ'र-ओ-सन्नाअ' हो फ़िक्र-ओ-ख़लिश से बे-नियाज़
ख़्वाजा-ओ-मज़दूर में बाक़ी न हो कुछ इम्तियाज़
सीमाब अकबराबादी
नज़्म
छोड़ी न ताब अपनी पर हुस्न-ए-दिल-सिताँ ने
जौहर भरे हैं तुझ में सन्ना-ए-दो-जहाँ ने
तिलोकचंद महरूम
नज़्म
हम-संग जवाहिर कभी पत्थर नहीं होता
हर चंद तराशे कोई सन्ना-ए-सफ़ा-कोश
मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी
नज़्म
बर्फ़ की दस्तार बाँधे सफ़-ब-सफ़ पर्बत यहाँ
करते हैं हम्द-ओ-सना अल्लाह की क़ुदरत है ये