आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "sehan-e-masjid"
नज़्म के संबंधित परिणाम "sehan-e-masjid"
नज़्म
तुम्हें दिखाऊँ
ये सेहन-ए-मस्जिद था याँ पे आयत-फ़रोश बैठे दुआएँ ख़िल्क़त को बेचते थे
अली अकबर नातिक़
नज़्म
चादरें माल-ए-ग़नीमत में जो अब के आईं
सेहन-ए-मस्जिद में वो तक़्सीम हुईं सब के हुज़ूर
शिबली नोमानी
नज़्म
दिल-पज़ीरी-ए-अज़ाँ दिलदारी-ए-नाक़ूस-ए-दैर
सेहन-ए-मस्जिद का तक़द्दुस परतव-ए-फ़ानूस-ए-दैर
शाद आरफ़ी
नज़्म
ब-ज़ेर-ए-साया-ए-दीवार-ए-मस्जिद है जो आसूदा
ये ख़ाकी जिस्म है सत्तर बरस का राह पैमूदा
हफ़ीज़ जालंधरी
नज़्म
अली अकबर नातिक़
नज़्म
जब मुझे मंदिर-ओ-मस्जिद में ठिकाना न मिला
कल हिक़ारत से जो कहते थे भिकारन मुझ को
वाक़िफ़ राय बरेलवी
नज़्म
दैर-ओ-मस्जिद छोड़ शैख़-ओ-बरहमन के वास्ते
ग़ुंचा-ओ-गुल वक़्फ़ कर अहल-ए-चमन के वास्ते
अमीन सलौनवी
नज़्म
शहीदान-ए-वफ़ा के क़तरा-ए-ख़ूँ काम आएँगे
उरूस-ए-मस्जिद-ए-ज़ेबा को अफ़्शाँ की ज़रूरत है
शिबली नोमानी
नज़्म
कि हम गिरह-ए-मसाइब पार करने से कभी मुनकिर नहीं ठहरे
ख़ुदाया हम को अब तेरी गवाही की ज़रूरत है