आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "shast-e-but-e-naavik"
नज़्म के संबंधित परिणाम "shast-e-but-e-naavik"
नज़्म
तेरी चुटकी की सदा है या कि शैताँ का ख़रोश
रहम कर इंसानियत पर ओ बुत-ए-इस्मत-फ़रोश
माहिर-उल क़ादरी
नज़्म
अग़्यार हूँ कहीं बुत-ए-शोरीदा-सर कहीं
सब कुछ हो आह में तो हो अपनी असर कहीं
राज्य बहादुर सकसेना औज
नज़्म
पहले ही बचना था 'नख़शब' उस बुत-ए-बे-मेहर से
अब भला मर्द-ए-ख़ुदा होता है पछताने से क्या
नख़्शब जार्चवि
नज़्म
जिस की नवा-ए-दिल-सिताँ ज़ख़्मा-ए-साज़-ए-शौक़ थी
कोई बताओ उस बुत-ए-ग़ुंचा-दहन को क्या हुआ
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
ज़बाँ से गर किया तौहीद का दावा तो क्या हासिल
बनाया है बुत-ए-पिंदार को अपना ख़ुदा तू ने
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
मुझ को एहसास-ए-फ़रेब-ए-रंग-ओ-बू होता रहा
मैं मगर फिर भी फ़रेब-ए-रंग-ओ-बू खाता रहा
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
था हूर का टुकड़ा बुत-ए-तन्नाज़ का मुखड़ा
इक शम्अ' थी फ़ानूस में जो नूर-फ़िशाँ थी
चंद्रभान कैफ़ी देहल्वी
नज़्म
दहर को पंजा-ए-उस्रत से छुड़ाने दे मुझे
बर्क़ बन कर बुत-ए-माज़ी को गिराने दे मुझे