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नज़्म
इक़बाल सुहैल
नज़्म
किस किस अंदाज़ से तहरीर किया हाल-ए-सितम
ग़म किया आप ने शाह-ए-शोहदा का क्या क्या
नाज़िश प्रतापगढ़ी
नज़्म
दिल में इक शोला भड़क उट्ठा है आख़िर क्या करूँ
मेरा पैमाना छलक उट्ठा है आख़िर क्या करूँ
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
उसे ख़्वाहिश थी शोहरत की न कोई हिर्स-ए-दौलत थी
बड़े से क़ुत्र की इक दूरबीन उस की ज़रूरत थी
जौन एलिया
नज़्म
मैं उस लड़के से कहता हूँ वो शोला मर चुका जिस ने
कभी चाहा था इक ख़ाशाक-ए-आलम फूँक डालेगा
अख़्तरुल ईमान
नज़्म
जौन एलिया
नज़्म
शो'ला ये कम-तर है गर्दूं के शरारों से भी क्या
कम-बहा है आफ़्ताब अपना सितारों से भी क्या
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
ख़लिश-ए-दिल से उसे दस्त-ओ-गरेबाँ न करूँ
उस के जज़्बात को मैं शो'ला-ब-दामाँ न करूँ