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नज़्म
दिन भर ये घर में सोती है सड़कों पे शाम से भागती है
आज़ाद तबीअ'त ऐसी है शादी के नाम से भागती है
खालिद इरफ़ान
नज़्म
सोती रात का जादू चलता खिंचते हुए दामन की ओट
चाँद का जौबन छलका पड़ता सागर प्यासा होता था