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नज़्म
मजीद अमजद
नज़्म
दिल में जब अशआर की होती है बारिश बे-शुमार
नुत्क़ पर बूँदें टपक पड़ती हैं कुछ बे-इख़्तियार
जोश मलीहाबादी
नज़्म
दर्द की मुद्दत से अब दिल में चमक होती नहीं
वो तपक छालों की कौंदे की लपक होती नहीं
जोश मलीहाबादी
नज़्म
आँखों से दो गर्म गर्म आँसू मेरे चेहरे पर टपक पड़े
मैं ने कहा पहले तुम हँस रहे थे