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नज़्म
जावेद अनवर
नज़्म
बे-तकल्लुफ़ तिफ़्ल-ए-शोख़-ओ-शैख़-ए-शैब-ओ-मर्द-ओ-ज़न
आज मशग़ूल-ए-तरब हैं लुत्फ़-ए-बाहम के लिए
नवाब सय्यद हकीम अहमद नक़्बी बदायूनी
नज़्म
गरचे बिल्कुल बे-गुनह था हो गया लेकिन वज़ीर
यानी इक झोंका जो आया बुझ गई शम्-ए-ज़मीर
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
क्या जाने किस ख़याल में गुम थी वो बे-गुनाह
नूर-ए-नज़र ये दीदा-ए-हसरत से की निगाह
चकबस्त बृज नारायण
नज़्म
अनवर महमूद खालिद
नज़्म
ऐसी हालत में किसी से झुक के मिलना है गुनाह
ये ख़ुलूस-ए-बे-महल करता है रूहों को सियाह
नख़्शब जार्चवि
नज़्म
फ़रोग़-ए-चश्म है तस्कीन-ए-दिल है बे-गुमाँ उर्दू
हर इक आलम में है गोया बहार-ए-गुल-फ़िशाँ उर्दू