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नज़्म
किस की आँखों में समाया है शिआर-ए-अग़्यार
हो गई किस की निगह तर्ज़-ए-सलफ़ से बे-ज़ार
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
ये चमन-ज़ार ये जमुना का किनारा ये महल
ये मुनक़्क़श दर ओ दीवार ये मेहराब ये ताक़
साहिर लुधियानवी
नज़्म
सो मैं ने साहत-ए-दीरोज़ में डाला है अब डेरा
मिरे दीरोज़ में ज़हर-ए-हलाहल तेग़-ए-क़ातिल है
जौन एलिया
नज़्म
अख़्तर शीरानी
नज़्म
साहिर लुधियानवी
नज़्म
मिटाया क़ैसर ओ किसरा के इस्तिब्दाद को जिस ने
वो क्या था ज़ोर-ए-हैदर फ़क़्र-ए-बू-ज़र सिद्क़-ए-सलमानी
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
मेरी फ़रियाद-ए-जिगर-दोज़ मिरा नाला-ए-ज़ार
शिद्दत-ए-कर्ब में डूबी हुई मेरी गुफ़्तार
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
क्या क्या न दिल-ए-ज़ार ने ढूँडी हैं पनाहें
आँखों से लगाया है कभी दस्त-ए-सबा को
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
सारे जहाँ को जिस ने इल्म ओ हुनर दिया था
मिट्टी को जिस की हक़ ने ज़र का असर दिया था