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नज़्म
जो है इक नंग-ए-हस्ती उस को तुम क्या जान भी लोगे
अगर तुम देख लो मुझ को तो क्या पहचान भी लोगे
जौन एलिया
नज़्म
वो लड़की अच्छी लड़की है तुम नाम न लो हम जान गए
वो जिस के लम्बे गेसू हैं पहचान गए पहचान गए
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
उस शाम मुझे मालूम हुआ इस कार-गह-ए-ज़र्दारी में
दो भोली-भाली रूहों की पहचान भी बेची जाती है