इन्क़लाबी शायरों की रूमानी शायरी

कोई भी इन्क़लाब मुहब्बत

के बिना अधूरी है | यही वजह है कि जितने भी इन्क़लाबी शायर हुए उन्होंने मुहब्बत के हवाले से बेहतरीन शेर कहे | यहाँ चंद ऐसी ही ग़ज़लें दी जा रही हैं, जिससे ये समझा जा सके कि इन्क़बाली शायरों की शायरी में रूमानियत का क्या रूप था

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