बेसबाती पर रुबाई

संसार में सब कुछ नश्वर

है, बे-सबात है। यह सच्चाई किसी से पोशीदा नहीं और शायरों से तो हर्गिज़ नहीं। जिस तरह दुनिया की चमक-दमक ने शायरों को अपनी तरफ़ खींचा है उसी तरफ़ इन के लम्हाती होने का सच भी शायरों ने बयान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी| बे-सबाती शायरी के ये नमूने इसी बात की दलील हैं।

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