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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

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मायूसी पर चित्र/छाया शायरी

मायूसी ज़िंदगी में एक

मनफ़ी क़दर के तौर पर देखी जाती है लेकिन ज़िंदगी की सफ़्फ़ाकियाँ मायूसी के एहसास से निकलने ही नहीं देतीं। इस सब के बावजूद ज़िंदगी मुसलसल मायूसी से पैकार किए जाने का नाम ही है। हम मायूस होते हैं लेकिन फिर एक नए हौसले के साथ एक नए सफ़र पर गामज़न हो जाते हैं। मायूसी की मुख़्तलिफ़ सूरतों और जहतों को मौज़ू बनाने वाला हमारा ये इन्तिख़ाब ज़िंदगी को ख़ुश-गवार बनाने की एक सूरत है।

हम को न मिल सका तो फ़क़त इक सुकून-ए-दिल

कोई क्यूँ किसी का लुभाए दिल कोई क्या किसी से लगाए दिल

उठते नहीं हैं अब तो दुआ के लिए भी हाथ

कोई क्यूँ किसी का लुभाए दिल कोई क्या किसी से लगाए दिल

हम तो कुछ देर हँस भी लेते हैं

हम तो कुछ देर हँस भी लेते हैं

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