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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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माँ पर उद्धरण

शायरी में महबूब माँ

भी है। माँ से मोहब्बत का ये पाक जज़्बा जितने पुर-असर तरीक़े से ग़ज़लों में बरता गया इतना किसी और सिन्फ़ में नहीं। हम ऐसे कुछ मुंतख़ब अशआर आप तक पहुँचा रहे हैं जो माँ को मौज़ू बनाते हैं। माँ के प्यार, उस की मोहब्बत और शफ़क़त को और अपने बच्चों के लिए उस की जानसारी को वाज़ेह करते हैं। ये अशआर जज़्बे की जिस शिद्दत और एहसास की जिस गहराई से कहे गए हैं इस से मुतअस्सिर हुए बग़ैर आप नहीं रह सकते। उन अशआर को पढ़िए और माँ से मोहब्बत करने वालों के दर्मियान शएर कीजिए।

quote

औरतें बीसियों, सैकड़ों हो सकती हैं, माँ सिर्फ़ एक होती है।

राजिंदर सिंह बेदी

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