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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

एकता पर चित्र/छाया शायरी

इत्तिहाद और यकजहती इन्सानों

की सबसे बड़ी ताक़त है इस का मुशाहदा हम ज़िंदगी के हर मरहले में करते हैं। इन्सानों के ज़िंदगी गुज़ारने का समाजी निज़ाम इसी वहदत और यकजहती को हासिल करने का एक ज़रिया है। इसी से तहज़ीबें वुजूद पज़ीर होती हैं और नए समाजी निज़ाम नुमू पाते हैं। वहदत को निगल लेने वाली मनफ़ी सूरतें भी हमारे आस-पास बिखरी पड़ी होती हैं उनसे मुक़ाबला करना भी इन्सानी समाज की एक अहम ज़िम्मेदारी है लेकिन इस के बावजूद भी कभी ये इत्तिहाद ख़त्म होता और कभी बनता है, जब बनता है तो क्या ख़ुश-गवार सूरत पैदा होती है और जब टूटता है तो उस के मनफ़ी असरात क्या होते हैं। इन तमाम जहतों को ये शेरी इंतिख़ाब मौज़ू बनाता है।

नफ़रत के ख़ज़ाने में तो कुछ भी नहीं बाक़ी

ये दुनिया नफ़रतों के आख़री स्टेज पे है

अब तो मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए

सात संदूक़ों में भर कर दफ़्न कर दो नफ़रतें

यही है इबादत यही दीन ओ ईमाँ

सात संदूक़ों में भर कर दफ़्न कर दो नफ़रतें

ख़ंजर चले किसी पे तड़पते हैं हम 'अमीर'

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

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