परवीन शाकिर - शायरी में निस्वानी जज़्बात का इज़्हार
परवीन शाकिर की शायरी नारीवादी भावनाओं से भरी हुई है और उस में उन के जीवन की त्रासदियों का उल्लेख भी मिलता है, आप इस संग्रह को पढ़कर उनके विचारों का नमूना देख सकते हैं।
मैं सच कहूँगी मगर फिर भी हार जाऊँगी
वो झूट बोलेगा और ला-जवाब कर देगा
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कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तिरा ख़याल भी
दिल को ख़ुशी के साथ साथ होता रहा मलाल भी
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