aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

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राजेन्द्र नाथ रहबर

1931 | पठानकोट, भारत

जगजीत सिंह की गाई अपनी नज़्म ' तेरे ख़ुशबू में बसे ख़त मैं जलाता कैसे ' के लिए चर्चित

जगजीत सिंह की गाई अपनी नज़्म ' तेरे ख़ुशबू में बसे ख़त मैं जलाता कैसे ' के लिए चर्चित

राजेन्द्र नाथ रहबर

ग़ज़ल 12

नज़्म 4

 

अशआर 4

कहीं ज़मीं से तअल्लुक़ ख़त्म हो जाए

बहुत ख़ुद को हवा में उछालिए साहिब

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एक दिन भीगे थे बरसात में हम तुम दोनों

अब जो बरसात में भीगोगे तो याद आऊँगा

बैठे रहो कुछ देर अभी और मुक़ाबिल

अरमान अभी दिल के हमारे नहीं निकले

मैं था किसी की याद थी जाम-ए-शराब था

ये वो नशिस्त थी जो सहर तक जमी रही

पुस्तकें 6

 

चित्र शायरी 1

 

वीडियो 4

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अज्ञात

आइना सामने रखोगे तो याद आऊँगा

जगजीत सिंह

तेरे ख़ुशबू में बसे ख़त

प्यार की आख़िरी पूँजी भी लुटा आया हूँ जगजीत सिंह

ऑडियो 3

आइना सामने रखोगे तो याद आऊँगा

शाम कठिन है रात कड़ी है

तेरे ख़ुशबू में बसे ख़त

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