उनवान चिश्ती
अशआर 10
इश्क़ फिर इश्क़ है आशुफ़्ता-सरी माँगे है
होश के दौर में भी जामा-दरी माँगे है
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इस कार-ए-नुमायाँ के शाहिद हैं चमन वाले
गुलशन में बहारों को लाए थे हमीं पहले
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मिरी समझ में आ गया हर एक राज़-ए-ज़िंदगी
जो दिल पे चोट पड़ गई तो दूर तक नज़र गई
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हुस्न ही तो नहीं बेताब-ए-नुमाइश 'उनवाँ'
इश्क़ भी आज नई जल्वागरी माँगे है
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