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कुंवर सेन की कहानियाँ
शोकेस वाला गुड्डा
यह एक ऐसी लड़की की कहानी है, जो शादी हो जाने के बाद भी अपने पहले आशिक़ को भूल नहीं पाती। शादी के बाद का कुछ अर्सा अच्छी तरह से गुज़र गया था। फिर एका-एक रंजीत उसके सामने आ खड़ा हुआ। उसकी एक झलक ने अतीत की तमाम वाक़िआत को उसके सामने लाकर खड़ा कर दिया और उसे यूँ लगा कि जैसे अभी भी वह स्कूल के बाहर सड़क पर खड़ा उसका इंतिज़ार कर रहा है।
ग्लैडियटर
पौराणिक कथाओं से निकले एक ऐसे हीरो की कहानी, जो महाभारत के युद्ध में शामिल होना चाहता है, मगर हो नहीं पाता। इसके बाद भी वह कई युद्धों का गवाह होता है और उन्हीं में से एक युद्ध में उसे वह लड़की मिलती है जिससे उसे मोहब्बत हो जाती है। लगातार युद्धों को देखने की वजह से उसे बहते, ताजा लहू को देखने की ऐसी आदत पड़ जाती है, जो उसकी मौत के साथ ही ख़त्म होती है।
एक टांग की गुड़िया
यह एक ऐसे लंगड़े बूढ़े पीर की कहानी है जिसके पास एक कुत्ता भी है। वह हर रोज़ शाम को कॉफ़ी हाऊस के सामने बैठा रहता है और वहाँ तरह-तरह के करतब दिखाता रहता है। बाद में कॉफ़ी हाउस को तोड़ दिया जाता है और उसकी जगह बनने वाली बहुमंज़िला इमारत के तीसरे माले में उसे दोबारा खोला जाता है। एक दिन जब वह सीढ़ियों से चढ़ता हुआ कॉफ़ी हाउस के सामने पहुँचता है तो उसकी मौत हो जाती है।
प्रसाद
यह दो दोस्तों की कहानी है, जो एक अख़बार में काम करते हैं। दोनों दोस्त मज़दूरों के हक़ में होने वाले प्रदर्शनों में सरगर्म रहते हैं। आगे चलकर उनमें से एक दोस्त आंदोलन से अलग हो जाता है और उसका इस्तेमाल ख़ुद के निजी फ़ायदे के लिए करने लगता है।
बत्ती बुझने तक
एक ऐसे बुढ़े शख़्स की कहानी, जो एक पार्क में बैठा हुआ अपने बराबर में बैठे एक शख़्स को अपनी गुज़री हुई ज़िंदगी के बारे में बताता है। उस शख़्स से बाते करते हुए वह बार-बार उससे सूरज के डूबने के बारे में पूछता है और हर बार वह उसे अपनी ज़िंदगी का अहम वाक़िआ बताता है जिसके बारे में उसने उससे पहले किसी को नहीं बताया था।
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