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Maulana Jalaluddin Rumi's Photo'

मौलाना जलालुद्दीन रूमी

1207 - 1273 | कोन्या, तुर्की

मशहूर फ़ारसी शाइ’र, मसनवी-ए-मा’नवी, फ़िहि माफ़ीह और दीवान-ए-शम्स तबरेज़ी के मुसन्निफ़

मशहूर फ़ारसी शाइ’र, मसनवी-ए-मा’नवी, फ़िहि माफ़ीह और दीवान-ए-शम्स तबरेज़ी के मुसन्निफ़

मौलाना जलालुद्दीन रूमी का परिचय

उपनाम : 'रूमी'

मूल नाम : मोहम्मद जलालुद्दीन

जन्म : 30 Sep 1207

निधन : 17 Dec 1273 | कोन्या, अन्य

पूरा नाम जलालुद्दीन रूमी. इनकी मसनवी को क़ुरआनी पहलवी भी कहते हैं. इसमें 26600 दो-पदी  छंद हैं , कहा जाता है कि निशापुर में इनकी भेंट प्रसिद्ध सूफ़ी संत शेख़ फ़रीदुद्दीन अत्तार से भी हुई थी.  फ़रीदुद्दीन अत्तार ने इन्हें अपनी इलाहीनामा की एक प्रति भेंट भी की थी.  रूमी की दो शादियाँ हुईं, जिनसे इन्हें दो बेटे और एक बेटी पैदा हुई थी.  विनफ़ील्ड के अनुसार रहस्यवाद में रूमी की बराबरी कोई नहीं कर सकता. रूमी शम्स तबरेज़ को अपना मुर्शिद मानते थे और उनकी रहस्यमयी मृत्यु के बाद उन्होंने अपने दीवान का नाम भी अपने मुर्शिद के नाम पर ही रखा. रूमी की मसनवी दुनिया भर में सबसे ज़्यादा पढ़ी जाने वाली किताबों में शुमार होती है|

प्रमुख रचनायें

१. मसनवी

२. दीवान-ए-शम्स तबरेज़

 

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