- पुस्तक सूची 187613
-
-
पुस्तकें विषयानुसार
-
गतिविधियाँ42
बाल-साहित्य2049
नाटक / ड्रामा1016 एजुकेशन / शिक्षण370 लेख एवं परिचय1465 कि़स्सा / दास्तान1649 स्वास्थ्य103 इतिहास3500हास्य-व्यंग732 पत्रकारिता215 भाषा एवं साहित्य1936
पत्र808 जीवन शैली23 औषधि1010 आंदोलन299 नॉवेल / उपन्यास5006 राजनीतिक368 धर्म-शास्त्र4723 शोध एवं समीक्षा7236अफ़साना3029 स्केच / ख़ाका287 सामाजिक मुद्दे117 सूफ़ीवाद / रहस्यवाद2244पाठ्य पुस्तक570 अनुवाद4511महिलाओं की रचनाएँ6354-
पुस्तकें विषयानुसार
- बैत-बाज़ी14
- अनुक्रमणिका / सूची5
- अशआर69
- दीवान1483
- दोहा51
- महा-काव्य106
- व्याख्या207
- गीत62
- ग़ज़ल1288
- हाइकु12
- हम्द52
- हास्य-व्यंग37
- संकलन1635
- कह-मुकरनी7
- कुल्लियात707
- माहिया19
- काव्य संग्रह5225
- मर्सिया395
- मसनवी868
- मुसद्दस58
- नात592
- नज़्म1298
- अन्य77
- पहेली16
- क़सीदा194
- क़व्वाली18
- क़ित'अ70
- रुबाई304
- मुख़म्मस16
- रेख़्ती13
- शेष-रचनाएं27
- सलाम35
- सेहरा10
- शहर आशोब, हज्व, ज़टल नामा20
- तारीख-गोई30
- अनुवाद74
- वासोख़्त27
मौलाना जलालुद्दीन रूमी के उद्धरण
दुनिया हासिल करना कोई बुराई नहीं लेकिन जब दुनिया को आख़िरत पर तरजीह दी जाए तो फिर सरासर ख़सारा ही है।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
हर फ़र्द किसी ख़ास मक़सद के लिए पैदा होता है और उस वक़्त के हुसूल की ख़्वाहिश पहले ही से उसके दिल में रख दी जाती है।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
जिस शख़्स का ख़ुदा ख़ुद निगेहबान हो उसका तहफ़्फ़ुज़ मुर्ग़-ओ-माही भी करते हैं।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
हक़ीक़त और मजाज़ का फ़र्क तुझे उसी वक़्त मालूम हो सकता है, जब सुरमाए इंसानियत तेरी चश्म-ए-बसीरत को साफ़ कर चुका हो।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
ऐ मह्बूब-ए-हक़ीक़ी! आप की मोहब्बत में मुझ को नारा-ए-मस्ताना बहुत अच्छा लगता है। क़यामत तक ऐ महबूब मैं इसी दीवानगी और वा-रफ़्तगी को महबूब रखना चाहता हूँ |
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
कब बंदा को यह हक़ पहुँचता है कि वह ख़ुदा की आज़माइश और इम्तिहान की जुरअत करे।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
join rekhta family!
Jashn-e-Rekhta 10th Edition | 5-6-7 December Get Tickets Here
-
गतिविधियाँ42
बाल-साहित्य2049
-
