- पुस्तक सूची 188048
-
-
पुस्तकें विषयानुसार
-
गतिविधियाँ55
बाल-साहित्य2070
नाटक / ड्रामा1025 एजुकेशन / शिक्षण377 लेख एवं परिचय1518 कि़स्सा / दास्तान1720 स्वास्थ्य107 इतिहास3560हास्य-व्यंग747 पत्रकारिता215 भाषा एवं साहित्य1972 पत्र812
जीवन शैली24 औषधि1031 आंदोलन300 नॉवेल / उपन्यास5018 राजनीतिक370 धर्म-शास्त्र4873 शोध एवं समीक्षा7317अफ़साना3047 स्केच / ख़ाका293 सामाजिक मुद्दे118 सूफ़ीवाद / रहस्यवाद2278पाठ्य पुस्तक567 अनुवाद4566महिलाओं की रचनाएँ6352-
पुस्तकें विषयानुसार
- बैत-बाज़ी14
- अनुक्रमणिका / सूची5
- अशआर69
- दीवान1492
- दोहा53
- महा-काव्य106
- व्याख्या209
- गीत63
- ग़ज़ल1321
- हाइकु12
- हम्द53
- हास्य-व्यंग37
- संकलन1653
- कह-मुकरनी7
- कुल्लियात713
- माहिया21
- काव्य संग्रह5321
- मर्सिया400
- मसनवी881
- मुसद्दस60
- नात598
- नज़्म1312
- अन्य78
- पहेली16
- क़सीदा200
- क़व्वाली18
- क़ित'अ71
- रुबाई306
- मुख़म्मस16
- रेख़्ती13
- शेष-रचनाएं27
- सलाम35
- सेहरा10
- शहर आशोब, हज्व, ज़टल नामा20
- तारीख-गोई30
- अनुवाद74
- वासोख़्त28
मोईनुद्दीन जीनाबड़े की कहानियाँ
बरसो राम धड़ाके से
यह कहानी मुस्लिम समाज के अलग-अलग समुदायों, संप्रदायों और गुटों के बीचे फैले ईर्ष्या, नफ़रत और चिढ़ की दास्तान बयान करती है। वह अपने मुस्लिम दोस्त से सालों बाद मिला था। उस दोस्त से जो देश विभाजन के समय पाकिस्तान चला गया था। शुरू में उन्होंने आपस में बीते दिनों की बातें की थी और फिर राम बाबू ने उसे बताया था कि दस आशूरे को जब उसे घर में दरूद-शरीफ़़ पढ़वाने के लिए मुसमलान की ज़रूरत पड़ी तो उसे सारे शहर में एक भी मुसलमान नहीं मिला।
भूल भुलय्याँ
यह उस व्यक्ति की कहानी है, जिसे भूलने की बीमारी है। यह बीमारी उसे बचपन से ही है जब वह गली में दोस्तों के साथ खेलते समय किसी अनजान व्यक्ति को अपना मामा समझकर उसके पीछे चल पड़ा था और फिर मुंबई की भीड़ में गुम हो गया था। हालाँकि बाद में वह मिल गया था। उसके बाद वह कई बार खोया और फिर यह उसकी आदत बन गई, जो आज तक उसके साथ है।
चाँद
यह देश विभाजन के बाद हमारे समाज में तेज़ी से फैलने वाले मध्यम वर्ग की कहानी है, जिनके यहाँ बच्चे की पैदाइश भी उनकी आर्थिक स्थिति पर निर्भर करती है। वह नहीं चाहता था कि उसकी बीवी दूसरा बच्चा पैदा करे। बल्कि वह पहला भी नहीं चाहता था। इसलिए वह उससे बार-बार बच्चा गिरा देने के लिए कहता है। पहले बच्चे पर माँ-बाप की इस लड़ाई का ऐसा असर पड़ता है कि वह बीमार पड़ जाता है। बच्चे को जब होश आता है तो वह उनसे ऐसा सवाल करता है कि दोनों में किसी के पास भी उसका जवाब नहीं होता।
नास्तिक
यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है, जो बचपन में एक शास्त्री जी के साथ बात-चीत के दौरान ख़ुद को नास्तिक घोषित कर लेता है। इसके बाद वह गाँव छोड़ देता है और सारी दुनिया में घूमता फिरता है। बीस साल बाद वह फिर उसी शास्त्री जी से मिलता है। शास्त्री जी भी उसे पहचान लेते हैं। इस बार जब उनके बीच वार्तालाप होती है तो शास्त्री अपनी सिद्ध छोड़कर उस नास्तिक को अपना गुरु मान लेते हैं।
नजात
यह एक ऐसे मुर्शिद की कहानी है, जिसे उसका पीर उस सवाल का जवाब तलाश करने के लिए कहता है जो उसका आख़िरी इम्तिहान होता है। वह सवाल के जवाब की तलाश में एक गाँव में पनाह लेता है और वहीं सारी ज़िंदगी गुज़ार देता है। जब उसे वहाँ भी जवाब नहीं मिलता तो वह गाँव को छोड़ने का फ़ैसला कर लेता है। पर जब वह गाँव छोड़कर जा रहा होता है तो एक ऐसी घटना होती है कि उसे ख़ुद अपनी आँखों पर विश्वास नहीं होता।
रिंग मास्टर
यह एक सर्कस कंपनी के एक रिंग मास्टर की कहानी है, जो रिंग में शेरों के साथ तरह-तरह के कर्तव्य दिखाता है। अचानक एक दिन वह बीमार पड़ जाता है। डॉक्टर से मिलता है तो वह उसे बताता है कि उसे ईश्वर में विश्वास नहीं है, इसलिए मौत उसका जुनून बन चुकी है। उसके जुनून बन जाने का कारण डॉक्टर यह बताता है कि ईश्वर एक बड़ा भय है और मौत छोटा भय। जब बड़ा भय ख़त्म हो जाता है तो छोटा भय ही बड़ा भय बन जाता है।
गीत घाट और गिर्जाघर
यह एक ऐसी लड़की की कहानी है, जो अपने गाँव में सबसे सुंदर है। गाँव के किनारे एक नदी बहती है। उसका बाप नहीं चाहता कि वह नदी के उस घाट पर जाए जहाँ हर साल परंपरा के अनुसार गीत गाया जाता है। लेकिन वह वहां जाने से ख़ुद को नहीं रोक पाती। इस पर लड़की का बाप गिरजाघर के फ़ादर से सलाह माँगता है। वह उन्हें एक सुझाव देता है। इससे पहले कि वह उसके मशवरे पर अमल करता, लड़की घाट पर नदी में डूब कर मर जाती है।
join rekhta family!
Jashn-e-Rekhta 10th Edition | 5-6-7 December Get Tickets Here
-
गतिविधियाँ55
बाल-साहित्य2070
-
