- पुस्तक सूची 187231
-
-
पुस्तकें विषयानुसार
-
बाल-साहित्य1974
जीवन शैली22 औषधि917 आंदोलन298 नॉवेल / उपन्यास4742 -
पुस्तकें विषयानुसार
- बैत-बाज़ी13
- अनुक्रमणिका / सूची5
- अशआर64
- दीवान1460
- दोहा53
- महा-काव्य108
- व्याख्या199
- गीत70
- ग़ज़ल1186
- हाइकु12
- हम्द46
- हास्य-व्यंग36
- संकलन1598
- कह-मुकरनी6
- कुल्लियात691
- माहिया19
- काव्य संग्रह5062
- मर्सिया386
- मसनवी835
- मुसद्दस58
- नात559
- नज़्म1251
- अन्य76
- पहेली16
- क़सीदा189
- क़व्वाली18
- क़ित'अ62
- रुबाई297
- मुख़म्मस17
- रेख़्ती13
- शेष-रचनाएं27
- सलाम33
- सेहरा9
- शहर आशोब, हज्व, ज़टल नामा13
- तारीख-गोई30
- अनुवाद74
- वासोख़्त26
संपूर्ण
परिचय
ई-पुस्तक162
लेख1
तंज़-ओ-मज़ाह17
रेखाचित्र1
शेर3
ग़ज़ल14
नज़्म2
क़िस्सा7
वीडियो1
गेलरी 1
हास्य1
नअत1
शौकत थानवी के क़िस्से
बेवक़ूफ़ की पहचान
एक नाशिर ने किताबों के नए गाहक से शौकत थानवी का तआ’रुफ़ कराते हुए कहा, “आप जिस शख़्स का नॉवेल ख़रीद रहे हैं वो यही ज़ात शरीफ़ हैं लेकिन ये चेहरे से जितने बेवक़ूफ़ मालूम होते हैं उतने हैं नहीं।” शौकत थानवी ने फ़ौरन कहा, “जनाब मुझमें और मेरे नाशिर में यही
बेवफ़ा के कूचे में
नौ-उम्री के ज़माने में शौकत थानवी ने एक ग़ज़ल कही और बड़ी दौड़ धूप के बाद माहनामा “तिरछी नज़र” में छपवाने में कामयाब हो गए। ग़ज़ल का एक शे’र था, हमेशा ग़ैर की इज़्ज़त तिरी महफ़िल में होती है तिरे कूचे में जाकर हम ज़लील-ओ-ख़्वार होते हैं शौकत थानवी के वालिद
वाह! आपकी तो बीवी है
शौकत थानवी बाग़-ओ-बहार तबीयत के मालिक थे। एक बार बीवी के साथ कराची जा रहे थे। जिस डिब्बे में उनकी सीट थी वो निचली थी। ऊपर की सीट पर एक मोटे ताज़े आदमी बिराजमान थे। शौकत साहब ने उठकर उन्हें ग़ौर से देखा फिर छत की तरफ़ देखकर कहा, “सुब्हान-अल्लाह क़ुदरत।” वो
मलक-उल-मौत की इनायत
एक दफ़ा शौकत थानवी सख़्त बीमार पड़े। यहाँ तक कि उनके सर के सारे बाल झड़ गए। दोस्त अहबाब उनकी इयादत को पहुंचे और बातचीत के दौरान उनके गंजे सर को भी देखते रहे। सबको हैरान देखकर शौकत थानवी बोले, “मलिक-उल-मौत आए थे। सूरत देखकर तरस आगया। बस सिर्फ़ सर पर
बारह सिंघा
पंजाब यूनीवर्सिटी के रजिस्ट्रार एस.पी. सिंघा के ग्यारह बच्चों के नाम का आख़िरी जुज़ सिंघा था। जब उनके बारहवाँ लड़का पैदा हुआ तो शौकत थानवी से मश्वरा किया कि इसका क्या नाम रखूँ। इस पर शौकत साहब ने बेसाख़्ता कहा, “आप उसका नाम बारह सिंघा रख दीजिए।”
join rekhta family!
-
बाल-साहित्य1974
-