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ताबिश मेहदी

1951 | दिल्ली, भारत

नैतिक मूल्यों पर ज़ोर देने वाले लोकप्रिय शायर

नैतिक मूल्यों पर ज़ोर देने वाले लोकप्रिय शायर

ताबिश मेहदी

ग़ज़ल 5

 

अशआर 10

अजनबी रास्तों पर भटकते रहे

आरज़ूओं का इक क़ाफ़िला और मैं

तकोगे राह सहारों की तुम मियाँ कब तक

क़दम उठाओ कि तक़दीर इंतिज़ार में है

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अगर फूलों की ख़्वाहिश है तो सुन लो

किसी की राह में काँटे रखना

पड़ोसी के मकाँ में छत नहीं है

मकाँ अपने बहुत ऊँचे रखना

ये माना वो शजर सूखा बहुत है

मगर उस में अभी साया बहुत है

लेख 1

 

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