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नाम-देव जी का कुआँ

शकीलुर्रहमान

नाम-देव जी का कुआँ

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    जब तुम सभों का बाबा साईं कॉलेज में पढ़ रहा था, गर्मी की ता’तील में अपने चंद दोस्तों के साथ सैर के लिए बीकानेर गया, बस यूँ ही घूमने फिरने सैर-सपाटे के लिए। ख़ूब सैर की। बीकानेर के नज़दीक ‘कोलावजी’ नाम का एक गाँव है, बाबा साईं का एक दोस्त गुनधर इसी गाँव का रहने वाला था, उसने बताया कि उसके गाँव में एक बहुत गहरा कुआँ है। उसका पानी बहुत मीठा है। उस कुएँ को ‘नाम देव का कुआँ’ कहते हैं जो बीकानेर आता है वो नाम देव का कुआँ देखने ज़रूर जाता है।

    जानते हो क्यों? इसलिए कि अपने मुल्क के बहुत ही मशहूर सन्त और शायर नाम देव जी ने ख़ुद ये कुआँ गाँव वालों की मदद से खोदा था, दिन-रात एक कर के कुआँ बनाया था, बात ये थी बच्चो कि बीकानेर के पास उस गाँव में पानी का काल पड़ा था। लोग पानी के लिए तरस रहे थे। मा’लूम हुआ ज़मीन ऐसी नहीं है कि पानी निकाला जा सके, लोग पानी की तलाश में दूर-दूर जाते थे, कुछ ख़ानदान गाँव छोड़ कर भी चले गए। अचानक नाम देव जी उस गाँव में गए और बैठ गए एक बड़े घने दरख़्त के नीचे। पूरे गाँव में बस यही एक घना दरख़्त था जिसके नीचे वो बैठे थे। संत साधू थे, बैठे तो उस दरख़्त के नीचे लेकिन उन्हें चैन कब था, वो तो अपने मालिक की याद में हर वक़्त नाचते-गाते ही रहते थे। जब देखो आँखें बंद किए ख़ुदा की याद में नाच रहे हैं, गाँव वालों ने सोचा अपनी तकलीफ़ बाबा को बता दें शायद उनकी दुआ से ज़मीन से पानी निकल आए। गाँव वाले बाबा के पास गए तो देखा सन्त नाम देव आँखें बंद किए मालिक का नाम ले-ले कर नाच रहे हैं। उन्हें नाचने से फ़ुर्सत कब थी जो गाँव वालों की तकलीफ़ सुनते, गाँव वाले इस इंतिज़ार में थे कि उनका नाच ख़त्म हो तो वो अपनी तकलीफ़ बताएँ। उसी वक़्त ऐसा हुआ कि गाँव का एक छोटा सा प्यारा सा लड़का श्याम मस्ती में संत नाम देव जी के साथ उसी तरह नाचने लगा कि जिस तरह नाम देव जी नाच रहे थे। वही गीत गाने लगा जो नाम देव जी गा रहे थे। गाँव के लोगों को डर लगा कहीं बाबा नाराज़ हो जाएँ, उन्होंने छोटे से लड़के श्याम को बार-बार रोका लेकिन श्याम था कि बस नाचता ही जा रहा था, नाचता ही जा रहा था।

    जानते हो उसके बाद क्या हुआ... हुआ ये कि नाम देव जी नाचते-नाचते अचानक रुक गए और हैरत से श्याम को देखने लगे, उन्हें सख़्त हैरत हुई कि छोटा सा प्यारा सा लड़का उसी तरह नाच रहा है कि जिस तरह वो ख़ुद नाच रहे हैं, उसी तरह गा रहा है कि जिस तरह वो ख़ुद गा रहे हैं, दोनों जहाँ के मालिक से अमन और शांति और लोगों के दर्मियान प्यार-मुहब्बत की भीक उसी तरह माँग रहा है कि जिस तरह वो माँग रहे हैं। नाम देव जी कुछ देर लड़के का नाच देखते रहे। उसका गीत सुनते रहे, फिर आगे बढ़ कर श्याम को प्यार करने लगे, श्याम नाचते-नाचते रुक गया और बहुत अदब से नाम देव जी को प्रणाम किया। नाम देव जी श्याम को पा कर बहुत ख़ुश थे। पूछा, “बेटे तुम्हारा नाम क्या है?”

    श्याम ने जवाब दिया, “मेरा नाम श्याम है।”

    संत नाम देव जी ने एक बार आँखें उठा कर आसमान की तरफ़ देखा और कहा, “आज से नाम देव तुम्हारा नाम श्याम देव रखता है, तुम अब श्याम देव कहे जाओगे। भगवान ने तुम्हें पसंद कर लिया है, तुम्हारा नाम दूर-दूर तक फैलेगा।”

    नाम देव जी ने श्याम का नाम श्याम देव कर दिया। उसे बहुत दुआएँ दीं और लगे गाने, अपने गीत में कहा, “हम सबका मालिक एक है। वही सब में समाया हुआ है, एक दूसरे से सिर्फ प्रेम करो, एक दूसरे की मदद करो।”

    उसी वक़्त श्याम ने नाम देव जी से कहा, “आप हम गाँव वालों की मदद कीजिए।”

    नाम देव जी ने पूछा, “क्या मदद करूँ मैं बताओ, मेरे करने का होगा तो ज़रूर करूँगा।”

    श्याम ने कहा, “हम सब पानी के लिए तरस रहे हैं, कहीं पानी नहीं है। पानी का काल पड़ा हुआ है। आप गाँव को एक कुआँ दे दें, कहते हैं ज़मीन के नीचे पानी नहीं मिलेगा, गाँव वालों ने बहुत कोशिश की कहीं पानी नहीं निकला।”

    नाम देव जी ने श्याम की बातें सुन कर कहा, “बच्चे मेहनत करने से सब कुछ हासिल हो जाता है, सच्चाई ये है कि पानी ज़मीन से बहुत नीचे है, कुआँ जब तक गहरा खोदा जाएगा पानी नहीं निकलेगा। मालिक अब तुम लोगों को प्यासा रहने नहीं देगा। जहाँ तुम नाच रहे हो ना... उसके नीचे से पानी निकलेगा, यक़ीन नहीं आता तो आओ हम सब कुआँ खोदना शुरू कर दें।”

    देखते ही देखते नाम देव ने फिर नाचना शुरू कर दिया और अपने गीत से मालिक को पुकारने लगे। बार-बार गाते रहे मालिक-मालिक पानी दो, मालिक-मालिक पानी दो, फिर गाँव के लोग जमा हो गए और नाम देव जी उस घने दरख़्त के नीचे कुआँ खोदने लगे। गाँव वाले भी इस काम में जुट गए और कुछ ही दिनों के अंदर उस घने दरख़्त के नीचे एक गहरा कुआँ तय्यार हो गया।

    कुँवें के पानी को साफ़ करने के लिए नाम देव जी ख़ुद कुँवें के अंदर उतरे और लगे कुआँ साफ़ करने, चंद दिनों के अंदर कुआँ साफ़ हो गया और गाँव वालों को पानी मिलने लगा। नाम देव जी ने श्याम को ख़ूब प्यार किया और उसके कान में कुछ कह कर नाचते-गाते गाँव से बाहर चले गए और फिर कभी वापिस नहीं आए। गाँव वाले उन्हें अब तक भूले नहीं हैं।

    जब भी उस कुँवें का मीठा पानी पीते हैं नाम देव जी को याद करते हैं। नाम देव जी, श्याम और कुँवें की कहानी आज भी वहाँ सुनाई जाती है। नाम देव जी के जाने के बाद श्याम देव रोज़ सुबह शाम कुँवें पर नाचता था, फिर वो भी कहाँ चला गया कोई नहीं जानता।

    बाबा साईं ने जब उस कुँवें का पानी पिया तो लगा वो इंतिहाई उम्दा, मीठा पानी पी रहे हैं।

    बच्चो, तुम जब भी उस गाँव में जाना उस कुँवें का पानी ज़रूर पीना। ऐसा मीठा पानी उस इलाक़े में दूर-दूर तक किसी भी कुँवें में नहीं मिलता।

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