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लेखक : मिर्ज़ा अज़ीम बेग़ चुग़ताई

संपादक : सलाहुद्दीन महमूद

प्रकाशक : नियाज़ अहमद

मूल : लाहौर, पाकिस्तान

प्रकाशन वर्ष : 1997

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : नॉवेल / उपन्यास

पृष्ठ : 455

ISBN संख्यांक / ISSN संख्यांक : 969-35-0775-4

सहयोगी : असलम महमूद

majmua-e-mirza azeem beg chughtai
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पुस्तक: परिचय

عظیم بیگ چغتائی کو ادب نواز طبقے نے "مصور ظرافت" کا خطاب عطا کیا۔ اور حقیقتا عظیم بیگ چغتائی اس خطاب کے مستحق تھے۔ انہوں نے افسانہ کو اپنے شوخ اور لطیف انداز بیاں کے ذریعے ایک نئے آہنگ سے روشناس کروایا۔ مرزا عظیم بیگ چغتائی زود نویس افسانہ اور ناول نگار تھے۔ یوں تو ان کو اردو ادب میں ایک افسانہ نویس اور ناول نگار کی حیثیت سے شہرت نصیب ہوئی لیکن انہوں نے مختلف موضوعات پر برجستہ قلم اٹھایا تھا۔ زیر نظر "مجموعہ عظیم بیگ چغتائی" میں دس ناولٹ شامل ہیں۔ ان ناولٹ کا مزاج بالکل نیا اور الگ ہے۔ انہیں طویل افسانہ بھی کہا جاسکتا ہے۔ زیادہ ترناول دو یا تین حصوں میں بٹے ہوئے ہیں اور ہر حصے کا باضابطہ عنوان بھی رکھا گیا ہے اور پھر ان حصوں میں پیش کیے گئے مناظر کو نمبرنگ کے ذریعہ واضح کیا گیا ہے۔ کسی کسی کہانی کے آخری حصے کو نتیجہ کے طور پر استعمال کیا گیا ہے اور اس کے بعد حواشی کے تحت ناولٹ میں ذکر کیے جانے والے افراد، مقامات اور الفاظ کی تشریح کردی گئی ہے۔ مجموعہ میں شامل ناولٹ کے عنوانات اچنبھے میں ڈالنے والے ہی ں،یہی وجہ ہے کہ جب قاری تذبذب میں ڈوبے عنوان کو دیکھتا ہے تو اس کے دماغ میں جستجو پیدا ہوتی ہے اور بلا اختیار اسے پڑھنے پر مجبور ہوجاتا ہے۔ ان ناولٹ کا اسلوب عظیم بیگ چغتائی کو دوسرے لکھنے والوں سے ممتاز کرتا ہے۔

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लेखक: परिचय

उर्दू के लोकप्रिय हास्यकारों में एक नाम अज़ीम बेग चुग़ताई का है। उनके हल्के फुल्के हास्य की बुनियाद लड़कपन की शरारतों पर है जिनसे हर इंसान को कभी न कभी सामना हुआ है। इसलिए आम लोगों ने उनके हास्य को बहुत पसंद किया।

अज़ीम बेग चुग़ताई का जन्म जोधपुर में हुआ। वहीं आरंभिक शिक्षा पाई। जन्म से निधन तक बीमारी का सिलसिला जारी रहा। बेहद कमज़ोर थे इसलिए बहन भाईयों को डाँट पड़ती रहती थी कि उन्हें न छेड़ें, उन्हें न सताएं। कहीं ऐसा न हो चोट लग जाए। इस व्यवहार का उनके व्यक्तित्व पर बुरा असर पड़ा और स्वभाव में एक मनोवैज्ञानिक गिरह पड़ गई। इस्मत चुग़ताई उनकी बहन थीं। उन्होंने “दोज़ख़ी” शीर्षक से उनका रेखाचित्र लिखा और उनकी मनोवैज्ञानिक पेचीदगियों का बहुत दिलचस्प अंदाज़ में उल्लेख किया। निरंतर बीमारी के कारण शोर शराबा और उछल कूद उनके बस की बात नहीं थी। इस कमी को उन्होंने हास्य लेखन से पूरा किया। लड़कपन की जिन शरारतों की तस्वीरें अज़ीम बेग चुग़ताई अपने लेखन में खींचते हैं वो इस कमज़ोरी की स्वाभाविक प्रतिक्रिया है। लम्बे समय तक वो हृदय रोग से पीड़ित रहे। सन् 1941  में उनका निधन हुआ।

ये बात भी ध्यान में रखने की है कि अज़ीम बेग चुग़ताई समाज की ख़राबियों से दुखी थे और सुधार की इच्छा रखते थे। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए उन्होंने हास्य और व्यंग्य लेख भी लिखे। इसके अलावा “क़ुरआन और पर्दा” जैसी संजीदा किताब भी लिखी।
शरीर बीवी, कोलतार और ख़ानम को उर्दू अदब में बहुत ख्याति प्राप्त हुई।

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