by शैख़ फ़रीदुद्दीन अत्तार
anwar-ul-azkiya
Tarjuma-e-Urdu Tazkirat-ul-Auliya
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
Tarjuma-e-Urdu Tazkirat-ul-Auliya
शैख़ फ़रीदुद्दीन अ’त्तार ईरान के शहर नेशापुर में 1145 ई’स्वी या 1146 ई’स्वी में पैदा हुए। उनका अस्ल नाम अबू हमीद इब्न-ए-अबू-बक्र इब्राहीम था मगर वो फ़रीदुद्दीन अ’त्तार के नाम से ही पहचाने गए। वो पेशे से हकीम थे। बा’ज़ का कहना है कि वो इत्रों का कार-ओ-बार करते थे। अ’त्तार एक फ़ारसी नज़ाद, मुसन्निफ़ और सूफ़ी बुज़ुर्ग थे। नेशापुर में शैख़ अ’त्तार का मतब काफ़ी मशहूर था। लोग उनके पास ज़ाहिरी और बातिनी दोनों अमराज़ के लिए आया करते थे। बग़दाद, बस्रा, दिमश्क़, तुर्किस्तान और ख़्वारिज़्म वग़ैरा तक उनकी शोहरत थी। अ’त्तार एक अल्लाह वाले और बुज़ुर्गों और सूफ़ियों से ख़ासी मोहब्बत का इज़्हार करने वाले इन्सान थे। उन्होंने इस सिलसिले में एक उ’म्दा किताब तज़्किरातुल-औलिया भी मुरत्तब की है। उनका इंतिक़ाल अप्रैल 1221 ई’स्वी में हुआ। मज़ार नेशापुर में मरजा’-ए-ख़लाइक़ है।