by सूफ़ी ग़ुलाम मुस्ताफ़ा तबस्सुम
do-guna
Ameer Khusru Ki Sau Ghazlo Ka Manzoom
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
Ameer Khusru Ki Sau Ghazlo Ka Manzoom
ग़ुलाम मुस्तफ़ा सूफ़ी तबस्सुम की गिनती हल्क़ा-ए-अरबाब-ए-ज़ौक़ के प्रतिनिधि शाइरों में होती है. 4 अगस्त 1899 को अमृतसर में पैदा हुए. लाहौर के फ़ोरमेन क्रिस्चियन काॅलेज फ़ारसी साहित्य में एम.ए. किया और गवर्नमेंट कालेज लाहौर में शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएँ देने लगे. फ़ारसी विभाग के विभागाध्य्क्ष के पद से सेवानिवृत हुए.
सूफ़ी तबस्सुम उर्दू के साथ-साथ फ़ारसी में भी शाइरी करते थे. उन्होंने ग़ालिब और अमीर ख़ुसरौ की फ़ारसी शाइरी का उर्दू में अनुवाद भी किया. इसके अलावा उर्दू और फ़ारसी शाइरी के पंजाबी में भी बहुत से अनुवाद किए. सूफ़ी तबस्सुम को उनकी अदबी ख़िदमात के लिए 1944 में हुकूमत-ए-ईरान ने ‘तमग़ा-ए-निशान-ए-सिपास’ से नवाज़ा और हुकूमत-ए-पाकिस्तान ने ‘सितारा-ए-इम्तियाज़’ से नवाज़ कर इज़्ज़त बख़्शी.
1978 में सूफ़ी तबस्सुम का देहांत हुआ.
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
Get Tickets