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लेखक : सिराज अनवर मोहम्मद मीरां

प्रकाशक : उम्मीद प्रिंटर्स एंड पब्लिकेशन, नांदेड़.

मूल : नांदेड़

प्रकाशन वर्ष : 2015

भाषा : उर्दू

श्रेणियाँ : लेख एवं परिचय

पृष्ठ : 309

ISBN संख्यांक / ISSN संख्यांक : 978-93-93079-80-0

सहयोगी : सिराज अनवर मोहम्मद मीरां

dr. zakir hussain aur rabindranath taigore ki taleemi khidmat
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लेखक: परिचय

सिराज अनवर मोहम्मद मीराँ (8 मई 1978) ने अपनी प्रारंभिक और माध्यमिक शिक्षा की यात्रा अपने वतन नांदेड़ से शुरू की। उच्च शिक्षा के रूप में उन्होंने पीपल्स कॉलेज, नांदेड़ से आर्ट्स फ़ैकल्टी में स्नातक की डिग्री पूरी की। उन्होंने चार विषयों — उर्दू, अंग्रेज़ी, इतिहास और शिक्षा — में स्नातकोत्तर किया।

MHSET प्रतिस्पर्धी परीक्षा, जो सहायक प्रोफ़ेसर की पात्रता के लिए आवश्यक होती है, उसमें उन्होंने वर्ष 2022 में सावित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय, पुणे से शानदार सफलता प्राप्त की। उनका अध्ययन केवल बी.ए. और एम.ए. तक सीमित नहीं रहा बल्कि उन्होंने अपनी अकादमिक रुचि कानून के क्षेत्र में दिखाते हुए स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाड़ा विश्वविद्यालय, नांदेड़ से एलएलबी की डिग्री हासिल की।

वे एक अच्छे शोध-विद्यार्थी भी हैं और इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए उनका शोध-प्रबंध "उर्दू पत्रकारिता के आरंभ और विकास में उलेमा-ए-कराम का योगदान" वर्तमान में स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाड़ा विश्वविद्यालय, नांदेड़ में पीएचडी हेतु प्रगति पर है और जल्द ही पूर्ण होने की संभावना है।

वे वर्ष 2003 से अध्यापन के पवित्र पेशे से जुड़े हैं और आज भी छात्रों की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। महाराष्ट्र सरकार ने उनकी विशिष्ट शैक्षिक सेवाओं को स्वीकार करते हुए वर्ष 2019 में उन्हें राज्य स्तरीय आदर्श शिक्षक के महान सम्मान से नवाज़ा।

सिराज अनवर न केवल एक अच्छे शोधकर्ता और अध्यापक हैं बल्कि साहित्य के क्षेत्र में कलम के एक सशक्त सिपाही भी हैं। उन्होंने 2005 से लेखन की शुरुआत की और उनके अधिकांश लेख उर्दू अख़बारों में प्रकाशित हो चुके हैं। उनकी लेखनी ने उर्दू साहित्य के ख़ज़ाने में उल्लेखनीय योगदान किया है।

उनकी कई किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें प्रमुख हैं: "मौलाना अबुल कलाम आज़ाद: हयात और नजरियात", अदबी उफ़ुक़, उर्दू ज़बान की तरक़्क़ी में जामिआ मिल्लिया का किरदार, डॉ. बाबासाहब आंबेडकर: हयात और नजरियात, हिंदुस्तान में हक़ूक़-ए-इफ़्ताल और बच्चों का तहफ़्फ़ुज़, इस्लाह-ए-मआशरा, नसाबी सरगर्मियाँ और सानीवी सतह के तलबा में क़ियादत की सलाहियत, सर सैयद अहमद ख़ाँ की अदबी ख़िदमात, मुस्लिम ख़वातीन की तालीमी सूरत-ए-हाल, मदरसा तालीमी निज़ाम और RTE दफ़आत का मुतालआ, हिंदुस्तान में तहफ़्फ़ुज़ाती पालिसी: मुस्लिम तलबा के तहफ़्फ़ुज़ात का मुतालआ, साहिर लुधियानवी की अदबी ख़िदमात।

अब तक उनकी 12 महत्वपूर्ण किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं और उर्दू साहित्य का अनमोल हिस्सा बन चुकी हैं। इसके अलावा उनके लिखे 25 शोध-पत्र UGC CARE LIST में शामिल जर्नल्स में प्रकाशित हो चुके हैं और विभिन्न प्रांतीय और राष्ट्रीय संगोष्ठियों व सम्मेलनों में प्रस्तुत किए गए हैं।

विशेष रूप से उनकी किताब "मौलाना अबुल कलाम आज़ाद: हयात और नजरियात" को राष्ट्रीय उर्दू भाषा प्रोत्साहन परिषद (केंद्रीय सरकार का एक प्रमुख संस्थान) ने आर्थिक सहयोग देकर प्रकाशित किया है।

यह बड़े गर्व के साथ कहा जा सकता है कि सिराज अनवर नई पीढ़ी और अध्यापक बिरादरी के लिए एक मशाल-ए-राह हैं।

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