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अनवर अफ़ाक़ी (असली नाम: मुहम्मद इमाम अल-हुदा अनवर) का जन्म 7 अगस्त 1954 को बिहार के दरभंगा ज़िले के बलिया गाँव (थाना: बिरौल) में हुआ। वे मूलतः दरभंगा शहर से ताल्लुक रखते हैं और वर्तमान में वहीं स्थायी रूप से निवास कर रहे हैं।
उन्होंने विज्ञान में स्नातक (B.Sc.) की डिग्री प्राप्त की और ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा हासिल किया। इसके उपरांत, 2007 में मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी, हैदराबाद से एम.ए. (उर्दू) की डिग्री डिस्टिंक्शन के साथ प्राप्त की।
अपना व्यावसायिक जीवन उन्होंने बोकारो स्टील प्लांट, धनबाद, और जलगांव (महाराष्ट्र) में आरंभ किया, जिसके बाद वे सऊदी अरब के जेद्दा चले गए और फिर वर्षों तक खाड़ी देशों में रहकर विभिन्न पदों पर कार्य किया। वे 2016 में संयुक्त अरब अमीरात के अल ऐन इंटरनेशनल एयरपोर्ट से इंजीनियरिंग ऑफिसर के पद से सेवानिवृत्त हुए।
साहित्य के प्रति उनकी रुचि और समर्पण ने उन्हें प्रवास में भी रचनात्मक रूप से सक्रिय बनाए रखा। खाड़ी देशों में रहते हुए उन्होंने कई साहित्यिक आयोजनों की मेज़बानी की और अनेक अंतरराष्ट्रीय कविता सम्मेलनों में भाग लिया। सेवानिवृत्ति के पश्चात वे भारत लौट आए और अब दरभंगा में अपने निवास पर साहित्यिक गतिविधियों में सक्रिय हैं।
अब तक उनकी सात पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं:
लमसन की खुशबू – कविता संग्रह
देरीना ख़ाब की तारीफ़ – कश्मीर यात्रा-वृत्तांत
दो बदू – साक्षात्कार
मनाज़ी आशिक हरगानवी से तल्ख़ – साक्षात्कार
नई राह नई रोशनी – कहानी संग्रह
मीज़ान-ए-फ़िक्र वा फ़न – लेख और टिप्पणियाँ
उदास मौसम – कविता संग्रह
इसके अतिरिक्त, उनका नया काव्य-संग्रह "ज़मीन जलने लगी है" प्रकाशनाधीन है, जिसे मनसा शाहूद द्वारा वर्ष 2025 में प्रकाशित किया जाएगा।
उनकी रचनात्मकता और साहित्यिक योगदान पर आधारित दो पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें:
Anwar Afaki: A Versatile Genius – लेखक: सैयद महमूद अहमद करीमी (अंग्रेज़ी)
Anwar Afaki: A Mirror in a Mirror – संकलनकर्ता: रकीम हारुफ़ (डॉ. अफ़ाफ़ इमाम नूरी)
ये दोनों पुस्तकें अनवर अफ़ाक़ी के विचार, कला और व्यक्तित्व पर गहराई से प्रकाश डालती हैं और शोधकर्ताओं के लिए एक उपयोगी संदर्भ सिद्ध होती हैं।
अब तक अनवर अफ़ाक़ी अपने जीवन के 71 वसंत देख चुके हैं। हम प्रार्थना करते हैं कि वे सदैव स्वस्थ और ऊर्जावान बने रहें, और उर्दू भाषा व साहित्य की सेवा इसी तरह करते रहें।