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by नासिर अब्बास नय्यर

मीरा जी की नज़्म और नस्त्र के मुतालेआत

उस को इक शख़्स समझना तो मुनासिब ही नहीं

by नासिर अब्बास नय्यर

लेखक : नासिर अब्बास नय्यर

संस्करण संख्या : 2

प्रकाशक : संग-ए-मील पब्लिकेशन्स, लाहौर

मूल : लाहौर, पाकिस्तान

प्रकाशन वर्ष : 2024

भाषा : उर्दू

पृष्ठ : 311

ISBN संख्यांक / ISSN संख्यांक : 969-35-3558-8 (ISBN-10), 978-969-35-3558-7 (ISBN-13)

सहयोगी : रेख़्ता, ग़ालिब इंस्टिट्यूट, नई दिल्ली

मीरा जी की नज़्म और नस्त्र के मुतालेआत
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पुस्तक: परिचय

यह किताब मशहूर उर्दू शायर मीरा जी की नज़्म और नस्त्र का एक जामे मुतालेआ है। नासिर अब्बास नय्यर की तसनीफ़ करदा यह किताब मीरा जी की अदबी खिदमात के मु्तलिफ़ पहलुओं का जायज़ा लेती है, जिसमें उनकी जदीदियत, तनक़ीदी नुक़्ता-ए-नज़र, तराजिम और "अजना के ग़ार" और "समंदर का बुलावा" जैसे मख़सूस कामों का गहराई से तज़िया शामिल है। मुसन्निफ़ एक ही अदीब पर मुकम्मल किताब लिखने के पीछे अपनी तरग़ीब पर भी ग़ौर करता है।

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