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लेखक : ख़्वाजा बंदानवाज गेसूदराज़

संपादक : गोपी चंद नारंग

V4EBook_EditionNumber : 001

प्रकाशक : आज़ाद किताब घर, दिल्ली

प्रकाशन वर्ष : 1957

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : सूफ़ीवाद / रहस्यवाद

उप श्रेणियां : उपदेश

पृष्ठ : 50

सहयोगी : जामिया हमदर्द, देहली

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पुस्तक: परिचय

معراج العاشقین ایسا ہدایت نامہ ہے جس میں کثرت سے خواجہ صاحب کے ملفوظات اور آپ کے وعظ اور اذکار کے حالات درج ہیں۔ حالانکہ یہ موضوع زیر بحث ہے کہ معراج العاشقین خواجہ بندہ نواز گیسو دراز کی تصنیف ہے یا نہیں۔ بہرحال اسے اردو نثر کی پہلی نثری کتاب مانا جاتا ہے۔ زیر نظر کتاب کو گوپی چند نارنگ نے اپنے مقدمہ کے ساتھ شائع کیا ہے، اور مقدمہ میں خواجہ بندہ نواز کے حالات زندگی کے علاوہ کتاب کی زبان اور اس کی لسانی خصوصیات پر سیر حاصل بات کی گئی ہے۔

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लेखक: परिचय

मूूल नाम सैयद मुहम्मद हुसैनी। ख़्वाजा बंदानवाज (भक्त वत्सल) और लंबे बाल रखने की वजह से गेसूदराज़ के नाम से प्रसिद्ध। इनेक पिता सैयद यूसुफ़ शाह जाने माने सूफ़ी थे जो दिल्ली के प्रसिद्ध चिश्ती संत ख़्वाजा निजामुद्दीन औलिया के खलीफ़ा शेख़़ बुरहानुद्दीन गरीब के साथ दकन आए थे। बंदानवाज़ की पैदाइश। 1318 के क़रीब दिल्ली में हुई। बालपन में ही पिता के साथ दकन आए। पांच वर्ष की अल्पायु में पिता का निधन हो गया और बंदानवाज अपनी माँ के साथ वापस दिल्ली आ गए।
दिल्ली में ही हज़रत ख़्वाजा निजामुद्दीन औलिया के ख़लीफ़ा ख़िलाफ़त पायी। दिल्ली में इनकी काफ़ी प्रतिष्ठा थी। अस्सी साल के थे जब 1398 में दिल्ली मैं तैमूरलंग ने आक्रमण किया और दिल्ली में तबाही मचाई। उजड़े दयार को छोड़कर पीर बंदनवाज गुजरात होते हुए दकन (दौलताबाद) आ गए। इसमें आधी शताब्दी पहले (1347) हसन गंगू अलाउद्दीन हसन बहमन शाह ने बहमनी राज्य स्थापित किया था। हसन के पोते तथा आठवें उत्तराधिकारी फिरोजशाह (1397-1422) ने अपने दारा द्वारा स्थापित राजधानी गुलबर्गा में ख़्वाजा साहब को बड़े सम्मान के साथ बुलाया, जहाँ 105 वर्ष की दीघार्यु में (1423) में इनका देहांत हुआ।
ख्वाज़ा बंदानवाज़ ने कई पुस्तकें लिखी हैं। उनकी निम्न पुस्तकें दकनी हिंदी में हैं- (1) चक्कीनामा(पद्य), (2) मेराजनामा (गद्य) और (3) सहपारा (गद्य)।

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