aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
भारत के एक प्रमुख और सम्मानित विधिवेत्ता, लेखक, स्तंभकार, वक्ता और सामाजिक सुधारक थे। उन्हें प्रायः "अपने आप में एक आकाशगंगा" कहा जाता था, जो उनके बहुआयामी व्यक्तित्व और समाज में योगदान को दर्शाता है।
रचनाएँ:
उन्होंने उर्दू और अंग्रेज़ी में कई पुस्तकें लिखीं, जिनमें शमशीर-ओ-सनान, तीर-ओ-तुफ़ंग, संग-ओ-ख़िश्त और क़ानूनी मश्वरे (Legal Advice) प्रमुख हैं। इन पुस्तकों में विधि, राजनीति, साहित्य और सामाजिक विषयों पर चर्चा की गई है।
स्तंभकार:
वे उर्दू दैनिक सियासत के नियमित स्तंभकार थे, जहाँ उन्होंने विधिक और सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों पर जनता को जागरूक किया।
टीवी पर उपस्थिति:
उन्होंने सियासत टीवी के कार्यक्रम क़ानून की आवाज़ में भाग लिया, जहाँ वे आम जनता को सरल भाषा में दीवानी और आपराधिक मामलों की जानकारी देते थे।
अभ्यास:
उन्होंने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में अतिरिक्त लोक अभियोजक (Additional Public Prosecutor) के रूप में कार्य किया और कई विधिक समितियों तथा परामर्शदात्री निकायों के सदस्य रहे।
जन-जागरूकता:
अपनी रचनाओं और व्याख्यानों के माध्यम से उन्होंने जनता को विधिक मुद्दों पर मार्गदर्शन दिया, विशेषकर अपने प्रसिद्ध स्तंभ क़ानूनी मश्वरे के द्वारा।
22 दिसंबर 2024 को 77 वर्ष की आयु में हुआ। उनका अंतिम संस्कार मस्जिद शाहिदा, किंग्स कॉलोनी, हैदराबाद में ।
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