aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
शमाइल एक गंभीर और प्रतिभाशाली धार्मिक लेखिका हैं, जिन्होंने जीवन के गहन अनुभवों, आध्यात्मिक अनुभूतियों और वैचारिक समझ को अपनी साहित्यिक यात्रा का हिस्सा बनाया है। उनकी रचनाओं में न केवल धार्मिक सोच की गहराई झलकती है, बल्कि मानव जीवन की जटिलताओं, परीक्षाओं और आध्यात्मिक पहलुओं को भी अत्यंत प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया गया है।
उनकी पुस्तक "ज़िंदगी आज़माइश और मैं" उनकी वैचारिक साधना का निचोड़ है। इस कृति में उन्होंने अपने निजी अनुभवों को एक व्यापक मानवीय अनुभव में ढाल कर पाठकों के हृदय तक पहुँचने वाली रचना प्रस्तुत की है। यह किताब सिर्फ़ जीवन की परीक्षाओं की कहानी नहीं है, बल्कि सब्र, ईश्वर में विश्वास और आध्यात्मिक निकटता की ओर यात्रा का एक सुंदर दस्तावेज़ है।
शमाइल का संबंध लाहौर से है, जहाँ उनका जन्म हुआ और जहाँ वे आज भी निवास करती हैं। लाहौर का साहित्यिक और आध्यात्मिक वातावरण उनके व्यक्तित्व और लेखन दोनों पर गहरा प्रभाव छोड़ चुका है। उनकी लेखन शैली सरल, आकर्षक और विचारोत्तेजक है, जो उनकी विद्वतापूर्ण और धार्मिक पृष्ठभूमि को दर्शाती है।