भीगी पलकें शौक़ का आलम वक़्त का धारा क्या नहीं देखा
भीगी पलकें शौक़ का आलम वक़्त का धारा क्या नहीं देखा
हँसते आँसू तल्ख़ तबस्सुम मीठा ग़ुस्सा क्या नहीं देखा
छलनी सीने रौशन चेहरे ख़ूनीं आँखें रंगीं दामन
ठंडी आहें वीराँ नज़रें हश्र-ए-तमन्ना क्या नहीं देखा
राह पे पहरे नुत्क़ पे क़दग़न शौक़ की यूरिश दिल की धड़कन
बोलती नज़रें बोझल पलकें ग़मगीं चेहरा क्या नहीं देखा
सोती क़िस्मत जागते इंसाँ उजड़ी बस्ती शम-ए-फ़रोज़ाँ
झूटे क़िस्से उल्टी तोहमत बात का बनना क्या नहीं देखा
बिखरी ज़ुल्फ़ें उलझी बातें आँख में शोख़ी लब पे तबस्सुम
खलती कलियाँ झूमती डाली हश्र सरापा क्या नहीं देखा
बज़्म-ए-चराग़ाँ झूटी ख़ुशियाँ नख़वत-ए-साक़ी तिश्ना-दहानी
गर्दिश-ए-साग़र आलम-ए-मस्ती तुंदी-ए-सबा क्या नहीं देखा
फूल सी बाहें लर्ज़ां सीना साँस उलझते भोली बातें
नीची नज़रें पहली लग़्ज़िश दिल का तक़ाज़ा क्या नहीं देखा
'यावर' हम को पा न सकोगे जैसे अब हैं ऐसे कब थे
दिल की नज़ाकत जुर्म-ए-मोहब्बत कुफ़्र-ए-तमन्ना क्या नहीं देखा
आज भी 'यावर' हँसते हँसते आँख में आँसू आ जाते हैं
दर्द की मौजें ख़ून की लहरें आग का दरिया क्या नहीं देखा
स्रोत:
Naqsh,Shumara No. 006 (Pg. E-101 B-111)
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- संस्करण: June 1961
- प्रकाशक: काशाना-ए-उर्दू, कराची
- प्रकाशन वर्ष: 1961
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