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इन लफ़्ज़ों में ख़ुद को ढूँडूँगी मैं भी

हुमैरा रहमान

इन लफ़्ज़ों में ख़ुद को ढूँडूँगी मैं भी

हुमैरा रहमान

MORE BYहुमैरा रहमान

    इन लफ़्ज़ों में ख़ुद को ढूँडूँगी मैं भी

    अपनी अना का मंज़र देखूँगी मैं भी

    कोई मिरे बारे में कुछ भी जान सके

    अब ऐसा लहजा अपनाऊँगी मैं भी

    आँखों से चुन कर सब टूटे-फूटे ख़्वाब

    पत्थर की ख़्वाहिश बन जाऊँगी मैं भी

    मैं ख़ुद अपनी सोच की मुजरिम ठहरी हूँ

    अब ये अदालत ख़ुद ही झेलूँगी मैं भी

    किस किस रंग में इलहामात उतरते हैं

    किस किस की रूदादें लिक्खूँगी मैं भी

    तस्वीरों के मद्धम रंग बताते हैं

    अपने को पहचान पाऊँगी मैं भी

    दुख में 'हुमैरा' अपनी हिफ़ाज़त करने को

    पिछले सभी आसेब बुलाऊँगी मैं भी

    RECITATIONS

    अज़रा नक़वी

    अज़रा नक़वी,

    अज़रा नक़वी

    इन लफ़्ज़ों में ख़ुद को ढूँडूँगी मैं भी अज़रा नक़वी

    स्रोत :
    • पुस्तक : URDU INTERNATIONAL (पृष्ठ 141)
    • रचनाकार : Ashfaq Hussain
    • प्रकाशन : 9-Thirty fifth Street, Suite 2, Toronto, Ontario, Canada M8W 3J8 (February 1983,Issue No: 1 ,Volume 2)
    • संस्करण : February 1983,Issue No: 1 ,Volume 2

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