Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

जाता है जो घरों को वो रस्ता बदल दिया

फ़ातिमा  हसन

जाता है जो घरों को वो रस्ता बदल दिया

फ़ातिमा हसन

MORE BYफ़ातिमा हसन

    जाता है जो घरों को वो रस्ता बदल दिया

    आँधी ने मेरे शहर का नक़्शा बदल दिया

    पहचान जिन से थी वो हवाले मिटा दिए

    उस ने किताब-ए-ज़ात का सफ़्हा बदल दिया

    कितना अजीब है वो मुसव्विर कि ग़ौर से

    देखे जो ख़द्द-ओ-ख़ाल तो चेहरा बदल दिया

    वो खेल था मज़ाक़ था या ख़ौफ़ था कोई

    इक चाल चल के उस ने जो मोहरा बदल दिया

    करता रहा असीरी के एहसास को शदीद

    ज़ंजीर खोल दी कभी पहरा बदल दिया

    RECITATIONS

    अज़रा नक़वी

    अज़रा नक़वी,

    अज़रा नक़वी

    जाता है जो घरों को वो रस्ता बदल दिया अज़रा नक़वी

    स्रोत :
    • पुस्तक : yadain bhi ab khwab hoin (पृष्ठ 77)
    • रचनाकार : faatima hasan
    • प्रकाशन : B-155 Block -5 gulshan iqbaal karachi (2004)
    • संस्करण : 2004

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

    Get Tickets
    बोलिए