काट कर नब्ज़ को बहता हुआ दरिया देखे
काट कर नब्ज़ को बहता हुआ दरिया देखे
'इश्क़ में कैसे कोई ख़ुद को तड़पता देखे
वो मुझे छोड़ के ग़ैरों से वफ़ा करने लगा
कौन महबूब को इस तरह बदलता देखे
किरमक-ए-तश्त-ए-फ़लक तुम उसे जा कर कह दो
मुझ से गर 'इश्क़ नहीं तो मुझे मरता देखे
रुख़ पे मुस्कान लिए दिल में ग़मों का मस्कन
यूँ शब-ओ-रोज़ मुझे कौन बिखरता देखे
जिस का दिल टूट गया उस को मिली तन्हाई
ग़म के मारों को भला कौन सँवरता देखे
हाल-ए-ग़म अपना रक़म कर नहीं सकता नासेह
बस ख़ुदा है जो मिरे दिल को सिसकता देखे
ज़िंदगी में मुझे 'रहबर' सी दे शोहरत या-रब
मुझ पे हँसता है जो वो मुझ को भी हँसता देखे
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