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शब-ए-विसाल ये कहते हैं वो सुना के मुझे

हफ़ीज़ जौनपुरी

शब-ए-विसाल ये कहते हैं वो सुना के मुझे

हफ़ीज़ जौनपुरी

MORE BYहफ़ीज़ जौनपुरी

    शब-ए-विसाल ये कहते हैं वो सुना के मुझे

    किसी ने लूट लिया अपने घर बुला के मुझे

    पुकारता नहीं कोई लहद पर के मुझे

    मिरे नसीब भी क्या सो रहे सुला के मुझे

    वो बोले वस्ल के शब आप में पा के मुझे

    चले गए हैं कहाँ अपने घर बुला के मुझे

    गिरा दिया है कुछ इस तरह उस ने आँखों से

    कि देखता नहीं कोई नज़र उठा के मुझे

    परी थी कोई छलावा थी या जवानी थी

    कहाँ ये हो गई चम्पत झलक दिखा के मुझे

    तुम्हारी बज़्म में आए तो जाम-ए-मय मुझ तक

    बला से दे दे कोई ज़हर ही मिला के मुझे

    उठा जो बज़्म से उन की तो रोक कर ये कहा

    कि ले चले हो कहाँ दिल में तुम छुपा के मुझे

    ये तेरे हिज्र का ग़म था वो तेरे इश्क़ का दाग़

    गया जो खा के मुझे जो मिटा मिटा के मुझे

    जहाँ पे जाते हुए मेरे होश उड़ते हैं

    तिरा ख़याल वहाँ ले चला लगा के मुझे

    मुझे है ग़श उन्हें हैरत अजीब आलम है

    मैं खो गया हूँ उन्हें देख कर वो पा के मुझे

    मिरी निगाह में फिरती है मेरी मौत की शक्ल

    जब आप देखते हैं तेवरियाँ चढ़ा के मुझे

    देखो आईना देखो मिरा कहा मानो

    दिखाओ ग़ैर को सूरत मुँह दिखा के मुझे

    तड़प ले दिल की ये कह कह के कोई आता है

    बिठा दिया है लहद में उठा उठा के मुझे

    गले लगा दे करूँ प्यार तेरी तेग़ को मैं

    कि याद आए करिश्मे तिरी अदा के मुझे

    ये मेरे रोने पे हँसती है क्यूँ मिरी तक़दीर

    वो अपने दिल में तो कुढ़ते नहीं रुला के मुझे

    जो मिट्टी दी है तो अब फ़ातिहा भी पढ़ते जाओ

    कुछ अब सवाब भी लो ख़ाक में मिला के मुझे

    'हफ़ीज़' हश्र में कर ही चुका था मैं फ़रियाद

    कि उस ने डाँट दिया सामने से के मुझे

    स्रोत :
    • पुस्तक : Kulliyat-e-Hafeez Jaunpuri (पृष्ठ Ghazal Number-220 Page Number-199)
    • रचनाकार : Tufail Ahmad Ansari
    • प्रकाशन : Qaumi Council Baraye Farogh-e-urdu Zaban (2010)
    • संस्करण : 2010

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