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उस के चेहरे पे तबस्सुम की ज़िया आएगी

आनन्द सरूप अंजुम

उस के चेहरे पे तबस्सुम की ज़िया आएगी

आनन्द सरूप अंजुम

MORE BYआनन्द सरूप अंजुम

    उस के चेहरे पे तबस्सुम की ज़िया आएगी

    वो मुझे याद करेगा तो हया आएगी

    ओढ़ कर जिस्म पे यादों की रिदा आएगी

    जब भी माज़ी के झरोकों से हवा आएगी

    कौन मज़लूम की फ़रियाद सुनेगा ना-हक़

    लौट कर दश्त में ख़ुद अपनी सदा आएगी

    किस क़दर बिखरा हुआ हूँ मैं बिछड़ के तुझ से

    याद अब किस की मुझे तेरे सिवा आएगी

    बंद कमरों में किसी को भी ये एहसास था

    दर खुलेंगे तो बहुत तेज़ हवा आएगी

    ग़ैर-मानूस फ़ज़ाओं में तो ख़ुश हूँ लेकिन

    जाने किस मोड़ पे मानूस फ़ज़ा आएगी

    नाम तो अपना गुनहगारों की फ़िहरिस्त में लिख

    तेरे हिस्से में भी रंगीन क़बा आएगी

    ज़िंदगी सब से जुदा गुज़रेगी अपनी 'अंजुम'

    मौत भी आई तो वो सब से जुदा आएगी

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