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हमारा वतन

अर्श मलसियानी

हमारा वतन

अर्श मलसियानी

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    रोचक तथ्य

    1938

    फलों से लदे जिस के अश्जार हैं

    महकते हुए जिस के गुलज़ार हैं

    निराली है जिस के गुलों की फबन

    हमारा वतन है हमारा वतन

    हमारा वतन सब से प्यारा वतन

    गुलाब और जूही की जिस में बहार

    समन है जहाँ हर चमन का सिंगार

    खुले हैं जहाँ नर्गिस-ओ-नस्तरन

    हमारा वतन है हमारा वतन

    हमारा वतन सब से प्यारा वतन

    है पूरब से पच्छिम निराला जहाँ

    है उत्तर का दूल्हा हिमाला जहाँ

    कुमारी जहाँ है उरूस-ए-दक्कन

    हमारा वतन है हमारा वतन

    हमारा वतन सब से प्यारा वतन

    कहीं गोमती ब्यास गोदावरी

    कहीं घाघरा नर्बदा ताप्ती

    कहीं जिस में बहते हैं गंग-ओ-जमन

    हमारा वतन है हमारा वतन

    हमारा वतन सब से प्यारा वतन

    हर इक फल हर इक फूल हर रुत जहाँ

    हवाओं में जिस की है अम्बर निहाँ

    फ़ज़ाएँ हैं जिस की चमन दर चमन

    हमारा वतन है हमारा वतन

    हमारा वतन सब से प्यारा वतन

    पपीहा अलापे जहाँ पी कहाँ

    सुनाएँ अनादिल तराने जहाँ

    है आमों में कोयल जहाँ नग़्मा-ज़न

    हमारा वतन है हमारा वतन

    हमारा वतन सब से प्यारा वतन

    अनाज और मेवों की कसरत जहाँ

    है पानी में भी इक हलावत जहाँ

    जो हम को बनाता है शीरीं-सुख़न

    हमारा वतन है हमारा वतन

    हमारा वतन सब से प्यारा वतन

    किया जिस की मिट्टी ने पैदा हमें

    क्यूँ फ़ख़्र से इस का हम नाम लें

    कहीं मिल के सब शैख़ और बरहमन

    हमारा वतन है हमारा वतन

    हमारा वतन सब से प्यारा वतन

    स्रोत:

    Kulliyat-e-Arsh (Pg. 260)

    • लेखक: Arsh Malsiyani
      • प्रकाशक: Ali Imran Chaudhary

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