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समकालिक पाकिस्तानी शायरों में शामिल

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अफ़ज़ाल नवेद

ग़ज़ल 20

अशआर 19

अय्याम के ग़ुबार से निकला तो देर तक

मैं रास्तों को धूल बना देखता रहा

सहर की गूँज से आवाज़ा-ए-जमाल हुआ

सो जागता रहा अतराफ़ को जगाए हुए

रहती है शब-ओ-रोज़ में बारिश सी तिरी याद

ख़्वाबों में उतर जाती हैं घनघोर सी आँखें

ख़ाली हुआ गिलास नशा सर में गया

दरिया उतर गया तो समुंदर में गया

मैं ने बचपन की ख़ुशबू-ए-नाज़ुक

एक तितली के संग उड़ाई थी

पुस्तकें 4

 

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Recitation

aah ko chahiye ek umr asar hote tak SHAMSUR RAHMAN FARUQI

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