Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Akhtar lakhnvi's Photo'

अख्तर लख़नवी

1934 - 1995 | कराची, पाकिस्तान

शायर और पत्रकार, लम्बे समय तक रेडियो पाकिस्तान से सम्बद्ध रहे, फ़िल्मों के लिए गीत और संवाद भी लिखे

शायर और पत्रकार, लम्बे समय तक रेडियो पाकिस्तान से सम्बद्ध रहे, फ़िल्मों के लिए गीत और संवाद भी लिखे

अख्तर लख़नवी के शेर

665
Favorite

श्रेणीबद्ध करें

कितने महबूब घरों से गए किस को मालूम

वापस आए हैं जो अपनों में ख़बर की सूरत

मौसम-ए-गुल तिरे सदक़े तिरी आमद के निसार

देख मुझ से मिरा साया भी जुदा है अब के

ख़्वाबीदा अपने चाहने वालों को देख कर

मुमकिन है लौट जाए सहर जागते रहो

जज़्बे की कड़ी धूप हो तो क्या नहीं मुमकिन

ये किस ने कहा संग पिघलता ही नहीं है

हसद का रंग पसंदीदा रंग है सब का

यहाँ किसी को कोई अब दुआ नहीं देता

हमें ख़ुदा पे भरोसा है ना-ख़ुदा पे नहीं

ख़ुदा जो देता है वो ना-ख़ुदा नहीं देता

सूने कितने बाम हुए कितने आँगन बे-नूर हुए

चाँद से चेहरे याद आते हैं चाँद निकलते वक़्त बहुत

मय-ए-कोहना सही ख़ून-ए-तमन्ना ही सही

एक पैमाना मिरे सामने लाया तो गया

इसी हसरत में कटी राह-ए-हयात

कोई दो-चार क़दम साथ चले

इक तेरे ही कूचे पर मौक़ूफ़ नहीं है कुछ

हर गाम हैं ताज़ीरें हम लोग जहाँ भी हैं

देखो उस ने क़दम क़दम पर साथ दिया बेगाने का

'अख़्तर' जिस ने अहद किया था तुम से साथ निभाने का

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

GET YOUR PASS
बोलिए