join rekhta family!
कोई मंज़र नहीं बरसात के मौसम में भी
उस की ज़ुल्फ़ों से फिसलती हुई धूपों जैसा
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
कोई मंज़र नहीं बरसात के मौसम में भी
उस की ज़ुल्फ़ों से फिसलती हुई धूपों जैसा
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
तुम्हारे ख़त कभी पढ़ना कभी तरतीब से रखना
अजब मशग़ूलियत रहती है बेकारी के मौसम में
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
तुम्हारे ख़त कभी पढ़ना कभी तरतीब से रखना
अजब मशग़ूलियत रहती है बेकारी के मौसम में
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
पुराने वक़्तों के कुछ लोग अब भी कहते हैं
बड़ा वही है जो दुश्मन को भी मुआ'फ़ करे
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
पुराने वक़्तों के कुछ लोग अब भी कहते हैं
बड़ा वही है जो दुश्मन को भी मुआ'फ़ करे
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
अपनों से जंग है तो भले हार जाऊँ मैं
लेकिन मैं अपने साथ सिपाही न लाऊँगा
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
चलो अम्न-ओ-अमाँ है मय-कदे में
वहीं कुछ पल ठहर कर देखते हैं
-
टैग : अम्न
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
चलो अम्न-ओ-अमाँ है मय-कदे में
वहीं कुछ पल ठहर कर देखते हैं
-
टैग : अम्न
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
अपनों से जंग है तो भले हार जाऊँ मैं
लेकिन मैं अपने साथ सिपाही न लाऊँगा
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
लोग ये सोच के ही परेशान हैं
मैं ज़मीं था तो क्यूँ आसमाँ हो गया
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
लोग ये सोच के ही परेशान हैं
मैं ज़मीं था तो क्यूँ आसमाँ हो गया
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
लाज रखनी पड़ गई है दोस्तों की
हम भरी महफ़िल में झूटे हो गए हैं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
लाज रखनी पड़ गई है दोस्तों की
हम भरी महफ़िल में झूटे हो गए हैं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
रंज-ओ-ग़म ठोकरें मायूसी घुटन बे-ज़ारी
मेरे ख़्वाबों की ये ता'बीर भी हो सकती है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
रंज-ओ-ग़म ठोकरें मायूसी घुटन बे-ज़ारी
मेरे ख़्वाबों की ये ता'बीर भी हो सकती है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
जाम-ए-शराब अब तो मिरे सामने न रख
आँखों में नूर हाथ में जुम्बिश कहाँ है अब
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
जाम-ए-शराब अब तो मिरे सामने न रख
आँखों में नूर हाथ में जुम्बिश कहाँ है अब
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
जुगनू था कहकशाँ था सितारा था या गुहर
आँसू किसी की आँख से जब तक गिरा न था
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
जुगनू था कहकशाँ था सितारा था या गुहर
आँसू किसी की आँख से जब तक गिरा न था
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
मैं झूट को सच्चाई के पैकर में सजाता
क्या कीजिए मुझ को ये हुनर ही नहीं आया
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
मैं झूट को सच्चाई के पैकर में सजाता
क्या कीजिए मुझ को ये हुनर ही नहीं आया
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
ये मो'जिज़ा हमारे ही तर्ज़-ए-बयाँ का था
उस ने वो सुन लिया था जो हम ने कहा न था
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
ये भी क्या बात कि मैं तेरी अना की ख़ातिर
तेरी क़ामत से ज़ियादा तिरा साया चाहूँ
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
ये भी क्या बात कि मैं तेरी अना की ख़ातिर
तेरी क़ामत से ज़ियादा तिरा साया चाहूँ
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
ये मो'जिज़ा हमारे ही तर्ज़-ए-बयाँ का था
उस ने वो सुन लिया था जो हम ने कहा न था
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
वो इक लम्हा जो तेरे वस्ल का था
बयाज़-ए-हिज्र पर लिक्खा हुआ है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
वो इक लम्हा जो तेरे वस्ल का था
बयाज़-ए-हिज्र पर लिक्खा हुआ है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
रंज-ओ-ग़म सहने की आदत हो गई है
ज़िंदा रहने के सलीक़े दे गया वो
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
रंज-ओ-ग़म सहने की आदत हो गई है
ज़िंदा रहने के सलीक़े दे गया वो
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
ये मुंसिफ़ान-ए-शहर हैं ये पासबान-ए-शहर
इन को बताओ नाम जो बलवाइयों के हैं
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
ये मुंसिफ़ान-ए-शहर हैं ये पासबान-ए-शहर
इन को बताओ नाम जो बलवाइयों के हैं
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया