अमजद अली राजा के शेर
छोड़ दूँ मैं अभी वज़ारत क्यूँ
इक तिजोरी फ़क़त भरी है अभी
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छोड़ सकती नहीं अभी वो मुझे
एक कोठी मिरी बची है अभी
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